राजदरी जलप्रपात

वाराणसी से 60 किमी दूर एवं चकिया से मात्र 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह प्राकृतिक जलप्रपात चन्द्र प्रभा नदी पर बना है, जो कर्मनाशा की सहायक नदी है। चंदौली जनपद में स्थित यह राजदरी जलप्रपात एक सुंदर एवं लोकप्रिय पिकनिक स्थल है। चट्टानों से नीचे गिरता इस विशाल जलप्रपात का दूधिया पानी आंखों को प्रिय लगने वाला सुखद दृश्य प्रस्तुत करता है। जलप्रपात का शीर्ष स्थल भी नीचे घाटी के मनोरम दृश्य प्रस्तुत करता है। राजदरी जलप्रपात इस सैंक्चुरी के सबसे प्रसिद्ध जलप्रपातों में है। 65 फ़ीट ऊँचे इस जलप्रपात के पास भारी मात्रा में स्थानीय एवं देशी-विदेशी पर्यटक आते हैं। राजदरी जलप्रपात का पानी कुछ ऐसे गिरता है मानों सीढ़ियों से उतरकर ज़मीन पर आ रहा हो। मॉनसून या वर्षाकाल में जब यह पानी उफ़ान पर होता है तब राजदरी जलप्रपात की सुंदरता में चार चाँद लग जाते हैं। इस रमणीय स्थान को उत्तर प्रदेश सरकार ने पिकनिक स्पॉट के रूप में विकसित किया है। उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से यहाँ सुरक्षा के सारे इंतज़ाम किये हुए है ताकि किसी भी दुर्घटना से बचा जा सके। सैलानियों को अतिरिक्त सुविधायें उपलब्ध कराने के उद्देश्य से यहाँ फ़ोटो खींचने या सेल्फी के लिए बहुत सारे पॉइंट बने हुए है। इस जलप्रपात की तरफ जाने के लिये चकिया नौगढ़ मुख्य सड़क को छोड़ कर राजदरी के लिए रास्ते पर थोड़ा आगे जाने पर वन विभाग का एक चेक पोस्ट मिलेगा और गेट बना हुआ है, जहाँ से आप राजदरी जलप्रपात के लिए प्रवेश करते हैं।

देवदरी जलप्रपात

राजदरी जलप्रपात से महज़ 3 किमी0 की दूरी पर चन्द्रप्रभा अभयारण्य में ही स्थित है देवदरी जलप्रपात। यह जलप्रपात राजदरी से एकदम अलग है। राजदरी की तरह यह सीढ़ीनुमा न होकर यह देखने में पश्चिमी देशों के झरने जैसा है, ऊपर से आता हुआ पानी एकदम से नीचे गिरता है। इसे पर्यटक उत्तर प्रदेश का नियाग्रा वॉटरफॉल मानते हैं। हरे भरे परिवेश के बीच यह एक सुंदर स्थान है जहां चांदी के समान पानी का जलप्रपात है। देवदरी जलप्रपात राजदरी से लगभग 700 मीटर की दूरी पर इसके प्रवेश द्वार के बाईं ओर स्थित है। यह राजदरी जलप्रपात के जल प्रवाह में ही स्थित है और इसे केवल ऊपर से ही देखा जा सकता है इसके नीचे तक नहीं पहुँचा जा सकता। 58 मीटर की ऊंचाई से नीचे गिरता जलप्रपात पर्यटन का एक लोकप्रिय स्थल है और एक बड़ी संख्या में देशी विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करता है। राजदरी व देवदरी जल प्रपात की मनोरम छटा किसी से छुपी नहीं है। इसी का परिणाम है कि यहां सावन व भादों के महीनों में कश्मीर व पहलगाम की सुषमा समेटे वादियों को निहारने के लिए पूर्वांचल समेत नीदरलैंड, हालैंड, स्वीटजरलैंड, जापान सहित अन्य देशों के पर्यटक खुद ब खुद खिंचे चले आते हैं। इन प्रपातों के नाम से ही जगजाहिर है कि यहां कभी राजे रजवाड़ों के साथ देवता भी प्रकृति की आभा को देखने धरती पर उतर आया करते थे। पूर्वांचल का स्वर्ग कहे जाने वाले राजदरी, देवदरी जल प्रपात पर्यटकों के लिए मनोरम दृश्य उत्पन्न करते हैं, लेकिन साथ ही इनका नाता तिलिस्म व गुफाओं से भी है। इन दोनों जल प्रपातों के नीचे बनी गुफाएं अपने आप में रहस्यों को समेटे हुए हैं। इतिहास के जानकार मानते हैं कि इन्हीं गुफाओं से होकर राजा और उनके ख़ास लोग एक स्थान से दूसरे स्थान को जाया करते थे। इनके गुप्तचर भी गुफाओं का प्रयोग कर दूसरे राज्य की गतिविधि का पता लगाते थे। आज भी नौगढ़ व विजयगढ़ के किले इन गुफाओं के गवाह हैं। कहा जाता है कि इन्हीं गुफाओं का प्रयोग कर अइयार (खास गुप्तचर) दुश्मन को ढेर कर देते थे। वर्तमान में कई गुफाओं को वन विभाग की ओर से बंद कर दिया गया है।

 

चलो चंदौली

Situated at an elevation of around 230 feet, Chandauli is a district under the state of Uttar Pradesh.

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